
भारत की गलियों, नुक्कड़ों और छोटे बाजारों में आपको हज़ारों छोटे दुकानदार दिख जाएंगे – मेहनती, ईमानदार और आत्मनिर्भर। लेकिन इनकी मेहनत की कमाई अक्सर उन हाथों में चली जाती है, जिनसे इन्हें बचना चाहिए – लोकल साहूकारों और दबंगों के पास।
पैसे की जरूरत, लेकिन रास्ता कौन दिखाए?
छोटे दुकानदारों को अपने व्यापार को बनाए रखने, माल लाने या नुकसान से उबरने के लिए अक्सर पैसों की जरूरत पड़ती है। लेकिन बैंक से लोन लेना उनके लिए किसी पहाड़ चढ़ने से कम नहीं।
क्यों?
- ज़रूरी कागजात नहीं होते
- बैंकिंग सिस्टम की समझ नहीं होती
- प्रोसेस लंबा और डरावना लगता है
नतीजा – वे मुड़ जाते हैं साहूकारों की ओर, जो तुरंत कैश तो देते हैं, लेकिन ऐसा ब्याज लगाते हैं कि दुकानदार की कमाई का दम घुटने लगता है।
100 दिन का लोन: फटाफट पैसा या फांस का फंदा?
यह एक आम चलन है – 100 दिन का लोन।
मान लीजिए किसी दुकानदार को ₹10,000 की ज़रूरत है।
उसे हाथ में मिलते हैं सिर्फ ₹9,000।
ब्याज पहले ही काट लिया जाता है।
अब रोज 100 दिन तक ₹100 चुकाओ।
एक दिन भी चूक? तो जुर्माना ₹100 प्रति दिन!
इस हिसाब से साल भर में ब्याज 40% से भी ज्यादा, और अगर चक्रवृद्धि जोड़ें तो 60% पार!
यह लोन नहीं, एक धीमा जहर है – जो दुकानदार को धीरे-धीरे कमजोर कर देता है। वह पुराने लोन चुकाने के लिए नया लोन लेता है, और यह सिलसिला खत्म ही नहीं होता।
क्यों फंसते हैं छोटे व्यापारी इस चक्रव्यूह में?
जब हमने कुछ दुकानदारों से बात की, तो दो कारण साफ़ उभरकर सामने आए:
1. वित्तीय जानकारी की कमी
उन्हें नहीं पता कि:
- बैंक से लोन कैसे लेना है
- सरकार की कौन सी योजना उनके लिए है
- किन दस्तावेजों से उन्हें फायदा मिल सकता है
2. बिज़नेस विज़न की कमी
दुकान को व्यवसाय की तरह चलाने की बजाय, सिर्फ रोज़मर्रा की कमाई पर ध्यान होता है।
भविष्य की कोई योजना नहीं। कोई डाटा नहीं। कोई प्लानिंग नहीं।
‘कागजी झंझट’ का डर – असल में अवसर की कमी?
बहुत से दुकानदार सोचते हैं कि:
“अगर हमने GST लिया, बैंक अकाउंट खोला, तो सरकार टैक्स लगा देगी।”
इस डर से वे लेनदेन में पारदर्शिता नहीं लाते। QR कोड घर के किसी सदस्य के नाम पर लगाते हैं, ताकि आय का कोई रिकॉर्ड न रहे।
लेकिन सोचिए – आप खुद अपने व्यवसाय को स्वीकार नहीं कर रहे, तो बैंक या सरकार कैसे विश्वास करेगी?
व्यवस्थित व्यापार = मजबूत भविष्य
व्यापार सिर्फ आज की ज़रूरत नहीं है, यह पीढ़ियों का सहारा बन सकता है – अगर उसे व्यवस्थित तरीके से चलाया जाए।
शुरुआत कहाँ से करें?
✅ उद्यम सर्टिफिकेट लें – ताकि आप सरकार की योजनाओं के पात्र बनें
✅ GST रजिस्ट्रेशन कराएं – पारदर्शिता बढ़ेगी
✅ बैंक खाता खोलें – जिससे ट्रांजेक्शन का रिकॉर्ड बने
✅ एक अच्छा अकाउंटेंट रखें – जो टैक्स और लाभ की सही सलाह दे
आज अगर आपने सही नींव रखी, तो कल आपकी अगली पीढ़ी उसी पर महल बना सकेगी।
अब साहूकार नहीं, सिस्टम से जुड़िए
छोटे दुकानदारों के पास अब यह विकल्प है कि वे साहूकारों के चंगुल से बाहर निकलें और एक संगठित व्यापारी की तरह आगे बढ़ें।
सरकार की कई योजनाएं आज भी सक्रिय हैं – बिना गारंटी लोन, ब्याज में छूट, बीमा और प्रशिक्षण कार्यक्रम।
अंतिम बात: एक छोटा कदम, बड़ा बदलाव
क्यों न आज ही एक कदम उठाएं?
- अपनी दुकान को रजिस्टर कराएं
- बैंक से जुड़ें
- डिजिटल ट्रांजेक्शन को अपनाएं
- सरकारी योजनाओं की जानकारी लें
- और सबसे ज़रूरी – खुद पर और अपने बिज़नेस पर भरोसा करें
क्योंकि जब आप खुद अपने भविष्य को गढ़ेंगे, तो कोई साहूकार उसका सौदा नहीं कर पाएगा।